सिटीग्रुप बैंक द्वारा अकाउंट में गलती से जमा हुए 81 ट्रिलियन डॉलर

कभी-कभी लेन-देन में गलती होना सामान्य बात है, लेकिन जब यह गलती बैंक से होती है, तो यह विश्वास करना मुश्किल हो सकता है। हाल ही में सिटीग्रुप बैंक से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें बैंक ने गलती से एक ग्राहक के अकाउंट में 81 ट्रिलियन डॉलर (7,08,51,14,55,00,00,000 रुपये) जमा कर दिए, जबकि असल में उसे केवल 280 डॉलर (24,492 रुपये) भेजे जाने थे। यह गलती बैंक के पुराने ऑपरेशनल मुद्दों के कारण हुई, जिसे लंबे समय तक ठीक नहीं किया जा सका।
गलती का पता डेढ़ घंटे बाद चला
यह घटना पिछले साल अप्रैल में घटी थी, जैसा कि फाइनेंशियल टाइम्स ने रिपोर्ट किया है। एक बैंक कर्मचारी ने भुगतान प्रोसेस शुरू किया, जिसे एक अन्य अधिकारी द्वारा जांच के बाद मंजूरी दी जानी थी। लेकिन दोनों ही अधिकारियों ने इस बड़ी गलती को नहीं पकड़ा। करीब डेढ़ घंटे बाद एक तीसरे बैंक कर्मचारी ने अकाउंट बैलेंस में गड़बड़ी देखी, और गलती का खुलासा हुआ। हालांकि, कुछ घंटों के भीतर इस ट्रांजेक्शन को उलट दिया गया।
सिटीग्रुप का बयान
सिटीग्रुप ने इस घटना पर बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि बैंक के सुरक्षा प्रणाली ने समय रहते इस गलती को पकड़ लिया और इसे सही किया गया। बैंक ने दावा किया कि उनके कंट्रोल सिस्टम इतने मजबूत हैं कि पैसा बैंक से बाहर नहीं गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस गलती से न तो बैंक और न ही ग्राहक को कोई नुकसान हुआ। इसके साथ ही, बैंक ने यह स्वीकार किया कि मैनुअल प्रक्रियाओं को खत्म कर ऑटोमेशन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सिटीग्रुप की पहले भी हुईं गलतियां
यह पहली बार नहीं है जब सिटीग्रुप से इस तरह की गलती हुई हो। 2023 में बैंक की तरफ से ऐसी 10 घटनाएं सामने आईं, जिनमें कर्मचारियों ने गलती से ज्यादा राशि ट्रांसफर कर दी थी, लेकिन समय रहते सुधार लिया गया। 2022 में ऐसी 13 घटनाएं हुई थीं। इन गलतियों की रिपोर्टिंग अनिवार्य नहीं होती, इसलिए इस तरह की घटनाओं का आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं होता। हालांकि, बैंकिंग एक्सपर्ट्स का कहना है कि 1 अरब डॉलर से ज्यादा का गलत ट्रांजेक्शन बहुत ही दुर्लभ होता है।
सिटीग्रुप की पिछली बड़ी गलती
सिटीग्रुप ने 2020 में भी 900 मिलियन डॉलर गलती से गलत अकाउंट में भेज दिए थे। जब बैंक ने इसे वापस लेने की कोशिश की, तो अदालत ने उसे अस्वीकार कर दिया। इस गलती के बाद, सिटीग्रुप के तत्कालीन सीईओ माइकल कॉर्बेट को इस्तीफा देना पड़ा और बैंक पर भारी जुर्माना लगाया गया था।